Friday, April 1, 2011

RAUDRA DHYAN

रौद्र ध्यान

,ध्यान का अर्थ यह है की हम किसी भी चीज का चिंतन मनन  करें तोह वेह ध्यान है. .जो ध्यान हम सुख में लीं होकर करते हैं,वेह रौद्र ध्यान है,सुख से यहाँ तात्पर्य है सांसारिक सुख से.यह रौद्र ध्यान ४ प्रकार के होते हैं:-

१.हिंसा नंदी रौद्र ध्यान-अगर हम किसी हिंसा की बातों में आनंद लेते हैं,खुसी मानते हैं.तोह वेह हिंसा नंदी रौद्र ध्यान है.जैसे की हम कोई मूवी देख रहे हैं,उसमें लड़ाई अदि चल रही है,तोह हम उसमें आनंद ले रहे हैं,भले ही किसी इंसान को उस जगह पीटना चाहिए,लेकिन हम जो आनंद ले रहे हैं,वेह हिंसा नंदी रौद्र ध्यान ही है,आजकल बड़े हिंसक गेम आ गए हैं जैसे वइस सिटी,बंदूकों वाले,और लड़ाई झगडे वाले,यह सब हिंसा नंदी रौद्र ध्यान को ही बढ़ावा दे रहे हैं,हमें मच्चार काट रहे हैं,हमने मच्छर दानी लगा दी,या उनको सबको मार दिया,फिर आनंद से सो गए,यह भी हिंसा नंदी रौद्र ध्यान ही है,लक्ष्मण रेखा का प्रयोग चींटियों को भागने के लिए करना,या उन्हें भागता देखकर खुस होते रहना,हिंसा नंदी रौद्र ध्यान में ही आता है.

२.चौर्या नंदी रौद्र ध्यान-अगर हम किसी चोरी की बातों में या चोरी करने में आनंद ले रहे हैं,तोह यह चौर्या नंदी रौद्र ध्यान है,जैसे की बिजली को चोरी,इन्कोमे टैक्स की चोरी करना,तथा आनंद लेना,कोई चोरी कर रहा है,उसे ऐसा करते देख खुश होना,या ऐसा करने का उपदेश देना,चौर्या नंदी रौद्र ध्यान है.

३.मिशानंदी रौद्र ध्यान-झूठ बोलने में आनंद लेना,झूठ बोलने का विचार मन में लाना,या बोलने वाले की प्रशंसा करना मिशानंदी रौद्र ध्यान कहलाता है.जैसे की आपने कोई काम नहीं किया,और न करने का वाहना झूठा दे दिया तोह यह मिशानंदी रौद्र ध्यान है.

४.परिग्रह नंदी रौद्र ध्यान-इस ध्यान में अधिक परिग्रह रखने का विचार करना,अपनी धन-संपत्ति-सेवक-दास-दसियों को देख कर खुश होना,गर्व करना ,किसी अमीर का घर देखकर अपने पास भी ऐसा घर होने के भाव रखना,परिग्रह रखने का भाव मात्र रखने को परिग्रह नंदी रौद्र धयन कहेंग.


जय जिनेन्द्र,यह जो कुछ भी मैंने लिखा है,अपन गुरु जी से बालबोध पाठशाला में सीखे हुए ध्यान के आधार  में लिखा है. 

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